Friday, July 23, 2010

नाकामी के भंवर में फंसे अक्षय


दो साल पहले तक अक्षय कुमार को बॉलीवुड का सबसे बड़ा सितारा माना जाता था. ऐसा चमकता सितारा, जिसने शाहरूख, आमिर और सलमान जैसे खान सितारों की चमक को भी फीका कर दिया था. ऐसा सितारा जो एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्मों के बाद बॉलीवुड का सबसे बिकाऊ और भरोसेमंद अभिनेता बन गया था.
लेकिन 2009 के बाद अगर अक्षय के कॅरिअर में एकदम से गिरावट आ गई है, तो इसकी सिर्फ एक वजह है-उनके द्वारा बार-बार एक जैसी ही भूमिकाएं करना और बार-बार घिसी-पिटी फिल्मों में कॉमेडी करते नजर आना. पिछले दो साल में अक्षय की लगभग हर पिक्चर टिकट खिड़की पर औंधें मंंूह गिरी है. इनमें चांदनी चैक टू चाइना, भागमभाग, दे दना दन, ब्ल्यू, तस्वीर जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल है. भागमभाग और दे दना दन अपनी लागत निकालने में तो कामयाब रही,, लेकिन ये पिक्चरें भी अक्षय की टिकट खिड़की पर हैसियत के माफिक कमाई नहीं कर पाई.
वजह बिल्कुल साफ है-अक्षय कुमार अपनी गलतियों से सबक लिए बगैर लगातार घटिया दर्जे की फिल्मों का चयन करते जा रहे हैं. एक जमाना था नब्बे के दशक का, जब अक्षय को एक्शन फिल्मों का बेताज बादशाह माना जाता था. नब्बे के दशक में अक्षय ने एक के बाद एक कामयाब एक्शन फिल्में देकर बीते जमाने के धर्मेंद्र की यादें ताजा कर दी थी. तब उन्हें खिलाड़ी कुमार कहा जाता था.
लेकिन प्रियदर्शन के साथ जुगलबंदी के बाद एक्शन के इस बेताज बादशाह को कॉमेडी फिल्में लुभाने लगी. प्रियदर्शन के साथ हेराफेरी,, भागमभाग, दे दना दन जैसी कॉमेडी फिल्में दी है उन्होंने. यहां तक तो खैर गनीमत थी, लेकिन दिक्कत यह कि अक्षय ने दूसरे निर्देशकों के साथ भी कॉमेडी फिल्में ही करना शुरू कर दी. विपुल शाह के साथ सिंह इज किंग, विपुल के साथ ही नमस्ते लंदन, नीरज वोरा के साथ फिर हेराफेरी जैसी कॉमेडी फिल्मों में अक्षय कुमार घिसी-पिटी भूमिकाओं में निचले दर्जे की कॉमेडी करते नजर आए.
इसका नतीजा यह हुआ है कि उनके कट्टर प्रशंसकों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है. एक जैसी घिसी-पिटी भूमिकाओं में देख-देखकर अब उनके प्रशंसक भी बोर होने लगे हैं. ऐसे दौर में जबकि आमिर सहित सभीा खान सितारें अपनी उम्र के हिसाब से अलग-अलग तरह की पिक्चरें करने लगे हैं, अक्षय अभी भी कॉमेडी फिल्मों के फेर में ही पड़े हुए है.
इसी का नतीजा है कि वे पिछले दो साल से एक अदद हिट पिक्चर के लिए भी तरस गए हैं. इस शुक्रवार रिलीज हुई खट्टा-मीठा में भी यही हाल है. प्रियदर्शन की यह कॅामेडी पिक्चर भी पहले दिन ही टिकट खिड़की पर औधें मूंह गिर गई है. और इसी के साथ अक्षय के खाते में एक और नाकामी दर्ज होने वाली है.
जाहिर है, यह अक्षय के लिए अपने कॅरिअर को लेकर फिर से मनन करने का वक्त है. अगर उन्हें खान सितारों को चुनौती देने लायक बनना है, तो पिक्चरों को लेकर अपने चयन को सुधारना होगा.

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