Thursday, July 1, 2010

हेट नहीं, आई लव, लव स्टोरीज !



रोमांटिक फिल्मों के मामलें में बाॅलीवुड का रिकाॅर्ड रोजर फेडरर के खेल के माफिक ही उजला रहा है. चाहे वह साठ के दषक की राजकूपर-नरगिस अभिनीत आवारा हो या फिर नब्बे के दषक की हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे या फिर इक्कीसवीं सदी के पहले दषक की लव आजकल, जब वी मेट हों. रोमांस, नाच-गाना बाॅलीवुड की सबसे बड़ी पहचान है और प्रयोगवादी सिनेमा के वर्तमान दौर में भी ऐसी फिल्मों का बनना लगातार जारी है. सो, इसी माहौल में नए निर्देषक पुनीत मल्होत्रा इस शुक्रवार रोमांटिक फिल्मों के शौकीन दर्षकों के लिए आई हेट लव स्टोरीज लेकर हाजिर हैं. करण जौहर के कैंम्प की इस फिल्म को उनतीस साल के पुनीत ने वैसी ही फिल्म में ढाला है, जैसे कि उनके गुरू करण ने दिलवालिया दुलहनियां ले जाएंगे में ढाला था. छोटी सी कहानी,, प्यार के पीछे भागते किरदार और एक-दूसरे को लेकर बदलते नायक-नायिका के अहसास, आई हेट लव स्टोरीज में सबकुछ हैं. फिल्म की कहानी इमरान खान के किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो बाॅलीवुड में एक फिल्म निर्देषक के साथ असिस्टेंट के तौर पर जुड़ा है. पेंच यहां पर यह है कि उसका बाॅस रोमांटिक फिल्मों का सबसे बड़ा निर्देषक है, लेकिन इमरान तो ‘यूज एंड थ्रो’ की पाॅलिसी वाला बंदा है. लेकिन उसकी जिंदगी तब बदल जाती है, जब सोनम कपूर उसके बाॅस की फिल्म में प्रोडक्षन डिजाइनर के तौर पर जुड़ती है. सोनम कपूर की जिंदगी में प्यार ही सबकुछ है, जबकि बंदे इमरान का इससे कोई वास्ता नहीं.. ऊपर से तुक्का यह कि सोनम कपूर पहले ही किसी के साथ प्यार में डूबी हुई है. सो, आगे इमरान भी प्यार के मायने समझता है और प्यार करने लग जाता है अपनी उसी से, जिसने उसे प्यार के मायने समझाए, मतलब सोनम कपूर से....बस, आगे की कहानी में वहीं सबकुछ है, जो आप देखना चाहते हैं.....प्यार, मनाना.
अब बात, फिल्म के कलाकारों की. इमरान खान ने ऐसा ही रोल अपनी पहली फिल्म जाने तू या जाने में भी किया था, लेकिन इस बार कुछ ज्यादा निखार आ गया है, उनकी एक्टिंग में. लेकिन फिल्म की यूएसपी है सोनम कपूर. पहली फिल्म सांवरियां और दिल्ली 6 में तो अनिल कपूर की यह लाडली बिटिया मुरझाई सी लगी थी.. लगा था एक-दो फिल्मों के बाद घर न बैठ जाएं. लेकिन अपनी तीसरी फिल्म में सोनम ने वो अदाकारी दिखाई है कि इंडस्ट्री की टॅाप हिरोईनों की तो रातों की नींद उड़ी समझो. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पुनीत मल्होत्रा ने बतौर निर्देषक अपनी पहली ही फिल्म में. निर्देषन शानदार किया है, हां फिल्म की कहानी लिखने की कला उनकों और ज्यादा तराषनी होगी. फिर भी,, पहली फिल्म के लिहाज से तो अभी उनकी तारीफ होनी चाहिए.
कूल जमा, यह फिल्म प्यार करने वालों के लिए हैं, युवाओं के लिए हैं. अगर आप युवा हैं, या फिर आपका दिल जवान हैं और आप प्यार में यकीन रखते हैं, तो फिर चले जाइए अपने नजदीकी सिनेमाघर की ओर-जहां आई हेट लव स्टोरीज चल रही हो.....यकीनन आप यह कहते हुए बाहर निकलेंगे-आई लव लव स्टोरीज...

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