Saturday, July 3, 2010

ग्लैमर की दुनिया के पीछे का सच



आखिर चकाचैंध से घिरी रहने वाली शख्सियतें क्यों लगाती है मौत को गले ?
पचास के दषक में भारतीय सिनेमा को प्यासा जैसी कालजयी फिल्म देेने वाले गुरूदत्त उस वक्त मात्र उनचालीस बरस के थे, जब 1964 में जिंदगी से बेजार होकर उन्होंने मौत को गले लगा लिया था. प्यासा, साहिब बीवी और गुलाम, सीआईडी जैसी ऐतिहासिक फिल्में देेने वाले गुरूदत्त फिल्मी दुनिया में कामयाबी के षिखर पर खड़े थे, लेकिन निजी जिंदगी उनकी पूरी तरह से खोखली हो चुकी थी. असफल वैवाहिक जिंदगी और नाकाम प्रेम संबंधों के चलते वे निजी तौर पर बेहद तनाव के दौर से गुजर रहे थे और इसी तनाव ने उनकों आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया. भारतीय सिनेमा के लिए यह एक आघात था. इंडस्ट्री ने असमय ही एक ऐसे महान फिल्मकार को खो दिया, जो आने वाले सालों में भारतीय सिनेमा को वैष्विक मंच पर स्थापित हो रहा है.
गुरूदत्त के दुनिया से जाने के लगभग छियालिस साल बाद गुरूदत्त की याद इसलिए आ रही है, क्योंकि हाल ही में ग्लैमर जगत की एक और बड़ी हस्ती-माॅडल विवेका बाबाजी ने जिंदगी से परेषान होकर मौत को गले लगा लिया. हालांकि विवेका का फिल्मी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन फिर भी वे उस ग्लैमर जगत का हिस्सा थी,, जिसकी चकाचैंध में वे दिन-रात फिल्मी हस्तियों के साथ खोई रहती थी. गुरूदत्त की तरह ही विवेका भी अपनी निजी जिंदगी से जार-जार हो चुकी थी. जिंदगी के चालीसवे साल के करीब पहुंच जाने के बाद यूं भी ग्लैमर की दुनिया में महिलाओं का आकर्षण पूरी तरह खत्म हो जाता है. सो, विवेका के साथ भी हुआ, ऊपर से निजी जिंदगी की दुष्वारियों ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया था. विवेका की डायरी बताती है कि वह गौतम वोरा नामक मुंबई के एक विख्यात व्यवसायी के प्यार में गिरप्तार थी. लेकिन प्रेम संबंध विवाह की दहलीज तक पहुंच नहीं पाया, तो विवेका ही मौत को गले लगाने को मजबूर हो गई.
खैर, यहां बात विवेका की मौत की नहीं हो रही है, बल्कि उन वजहों की हो रही है, जिसके चलते विवेका और गुरूदत्त जैसी चकाचैंध की दुनिया की चर्चित हस्तियां मौत को गले लगाने के लिए तैयार हो जाती है. क्या वाकई ग्लैमर के पीछे की दुनिया इस कदर अंधेरी होती है ,कि लोगों को मौत के सिवाय और कुछ भी नहीं दिखाई देता है ? इसका जवाब हां में होगा. दरअसल ग्लैमर की दंुनिया की सभी शख्सियतों की जिंदगी चमचमाते कैमरों और आगे-पीछे घूमते मीडियाकर्मियों के आकर्षण से बंधी होती है. लेकिन जब कॅरिअर ढलान पर होता है या फिर जिंदगी की जमीनी हकीकत से सामना होता है, तो ये शख्सियतें अक्सर टूट जाया करती हैं. गुरूदत्त के साथ यही हुआ. अपनी फिल्मों में प्यार और बेवफाई के कई रंग दिखाने वाले गुरूदत्त निजी जिंदगी में वहीदा रहमान की बेवफाई बर्दाष्त नहीं कर पाएं. उधर, पत्नी के साथ भी उनके संबंध टूटने की कगार पर थे, सो उन्होंने मौत को गलेे लगाना ही सही समझा.
ग्लैमर जगत को लेकर एक बात बार-बार कहीं जाती है-चकाचैंध से भरी इस दुनिया में सबकुछ नकली और अस्थायी होता है. लेकिन चूंकि सितारे इस नकली दुनिया के अभ्यस्त हो जाते हैं, तो फिर असली दुनिया की चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते हैं. कई दषक पहले गुरूदत्त के साथ भी यही हुआ था और अब विवेका बाबाजी के साथ भी यही हुआ.

No comments:

Post a Comment