Monday, July 19, 2010

कश्मीर और बॉलीवुड


साठ-सत्तर के दशक में भले ही विद्रोही अभिनेता के तौर पर विख्यात शमी कपूर को उनके चाहने वालों ने कश्मीर की बर्फीली वादियों में याहू-याहू गाते देखा हो, लेकिन ध्रती का स्वर्ग कही जाने वाली घाटी बीतें सालों में पूरी तरह से बदल चुकी है. अब वहां के अप्रतिम सौंदर्य को आतंकवाद की वीभिषिका ने पूरी तरह लील लिया है. घाटी में आतंकवाद की जड़े जैसी-जैसी गहरी होती गई, बॉलीवुड के फिल्मकारों ने भी उसे अपनी फिल्मों की कहानी बनाना शुरू कर दिया. बीतें तीन दशकों में कश्मीर पर आधरित ऐसी ही चंद फिल्मों पर एक नजर, जिन्होंने दर्शकों के दिलों को गहरे से छुआ ः
रोजा 1992 ः मणिरत्नम की यह फिल्म एक ऐसे नवविवाहित जोड़े की कहानी है, जो शादी के बाद ही तत्काल घाटी की ओर कूच कर देता है, क्योंकि पति वहां सेना में अधिकारी के तौर पर तैनात है. लेकिन पत्नी के लिए जल्द ही स्थिति नारकीय हो जातीे है, जब उसके पति केा आतंकवादी अपने कब्जें में ले लेते हैं. अरविंद स्वामी, मध्ुा की प्रमुख भूमिकाओं वाली इस फिल्म में मणिरत्नम ने घाटी के हालात पूरी ईमानदारी और दिलेरी से उकेरे हैं.
मिशन कश्मीर 2000 ः विध्ुा विनोद चोपड़ा की इस फिल्म में घाटी की खूबसूरती के साथ ही संजय दत्त, रितिक रोशन, प्रिटी जिंटा जैसे बड़े सितारों का मन मोह लेने वाला अभिनय भी था. संजय दत्त एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में थे और रितिक रोशन उनके गोद लिए हुए बेटे की भूमिका में, जो बड़ा होकर आतंकवादी बन जाता है.
यहां 2005 ः एड फिल्मों के निर्देशक सूजीत सिरकर की यह फिल्म कमाल की है. फिल्म में नायिका मीनिषा लांबा एक कश्मीरी लड़की की भूमिका में है, जिसे सेना के एक जवान से प्यार हो जाता है. लेकिन कहानी में ट्वीस्ट यह है कि नायिका का भाई आतंकवादी है. यह फिल्म कश्मीर में युवाओं के आतंकवाद का रास्ता अपनाने की कहानी को पूरी हकीकत के साथ बयां करती है.
तहान 2008ः संतोष सिवन की इस फिल्म में एक मासूम बच्चे और उसके गध्ेा की कहानी है. फिल्म में बच्चे की नजर से घाटी में पनपते आतंकवाद को दिखाया गया है. एकदम सीधे सरल और दिल को छू जाने वाले अंदाज में यह फिल्म एक सार्थक संदेश दे जाती है.
कारगिल एलओसी 2003ः बार्डर जैसी महान फिल्म बनाने के बाद जेपी दत्ता ने इंडस्ट्री के दो दर्जन से भी ज्यादा सितारों को लेकर कारगिल युध पर आधारित यह फिल्म बनाई थी. फिल्म तो घटिया साबित हुई, लेकिन इसके गीत-संगीत ने खूब तारीफें बटोरी.
फना 2006 ः निर्देशक कुणाल कोहली की इस फिल्म में आमिर खान एक आतंकवादी की भूमिका में नजर आते हैं, जो अपने मिशन को पूरा करने के लिए एक अंधी लड़की को प्यार के जाल में फंसाते हैं. पिक्चर इंटरवल के बाद बोझिल हो जाती है, लेकिन गीत-संगीत इसका भी बेहद उम्दा है.
सिकंदर 2009ः निर्देशक पियुष झा इस फिल्म में फुटबॉल के दीवाने एक बारह वर्षीय लड़के के माध्यम से बताते हैं कि घाटी में किस तरह मासूम बच्चों को आतंकवाद की अंध्ेरी खाई में धकेला जा रहा है. यह फिल्म घाटी की राजनीति को लेकर भी सवाल खड़े करती है.

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