Thursday, July 15, 2010

क्लासिक सिनेमाः शूल



हर किसी का नजरिया अलग होता है और चीजों को परखने, देखने की दृष्टि भी अलग-अलग. यही बात फिल्मों के मामलें में भी लागू होती है. फिल्मों के शौकीन हर व्यक्ति की कुछ पसंदीदा फिल्में है, जिन्हें वह देखने के कई सालों बाद भी अपने दिलो-दिमाग में बसाए हुए रखता है. इसीलिए जब मैं अपनी पसंदीदा फिल्मों के बारे में लिखने बैठा, तो जो फिल्म मेरे दिमाग में सबसे पहले आई, वह थी- शूल. 1990 में रिलीज हुई निर्देशक ई निवास की इस फिल्म ने मुझे हमेशा अपनी ओर खींचा है, झिंझोड़ा है, सोचने को मजबूर किया है.
तो, अनुराग कश्यप की कलम से निकली शूल में बिहार में राजनीति और अपराध के बीच की मिलीभगत को दिखाया गया है. यह फिल्म एक युवा पुलिस जवान मनोज वाजपेयी की कहानी कहती है, जिसका तबादला बिहार के मोतिहारी जिले में होता है. इस इलाके में दबंग नेता और अपराध जगत के सरगना बच्चु यादव का राज है. राज भी इस कदर कि पुलिस वाले भीे सरकार से ज्यादा उनके लिए काम करते हैं और उनसे तनख्वाह भी लेते हैं. लेकिन मनोज वाजपेयी वसूलों वाला इंसान है, इसका विरोध करता है. इसका खामियाजा आखिर में उसे अपनी बेटीे और पत्नी को खोकर भूगतना पड़ता है. क्लाइमेक्स में मनोज वाजपेयी बच्चू यादव और उसके डर को खत्म भी करता है और सिस्टम के ऊपर कई सवाल भी दागता है.
यही सवाल पिक्चर पूरी होने के बाद दर्शक के मन में खलबली मचाते रहते है. फिल्म में मनोज वाजपेयी से यही गलती होती है कि वह अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से निभाता है. इसी के चलते उसे अपना सबकुछ खोना पड़ता है. फिल्म के आखिर में मनोज वाजपेयी देश के नेताओं से पूछता है कि क्या हमें झूठी शपथ दिलाई गई थी,, कर्तव्य निष्ठा की ?
यह फिल्म इस ओर भी इशारा करती है कि देश की राजनीति का किस कदर अपराधीकरण हो चुका है. नेता गुंडों में तब्दील हो गए है और अब वे गुर्गे पालने लगे हैं. ऐसे में आम आदमी बेचारा कहां जाएं, कैसे जिंदगी जिए ? तो फिर क्या आज की तारीख में बेईमानी ही एकमात्र विकल्प बची है, जैसा कि मनोज वाजपेयी के दोस्त करते हैं ?
फिल्म में मनोज वाजपेयी का किरदार भी कमाल का है. उन्होंने अपना रोल इस समर्पण के साथ निभाया है कि दर्शक वाह-वाह करते रह जाते हैं.
फिल्म बिहार की राजनीति की एकदम सच्ची तस्वीर उकेरती है. साथ ही यह राजनीति में घूस आई गंदगी को भी निर्मम तरीके से सामने लाती है और यही इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है.
अगर आपकों देश की कानून-व्यवस्था पर आधारित कोई फिल्म देखनी है, तो बस फिर यह फिल्म आपके लिए ही है.

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