Thursday, July 1, 2010

बजट की मारी, फिल्में बेचारी



सोनम कपूर फिल्म इंडस्ट्री में भले हीे दो फिल्म पुरानी हो, लेकिन हाल ही में उन्होंने बड़े पते की बात कह डाली. अपनी नई फिल्म आई हेट लव स्टोरीज की रिलीज से ठीक पहले सोनम ने एक समझदारीभरा बयान दिया-बाॅलीवुड में फिल्में असफल नहीं होती, उनका बजट असफल होता है. बात सोनम की सौ टका सही है, सो इसे जरा सरल भाषा में समझने की कोषिष करते हैं.
दरअसल, सोनम कपूर के कहने का मतलब यह है कि बाॅलीवुड में कई फिल्में अपने बजट की वजह से नाकाम हो जाती है. बात सही भी है, बाॅलीवुड में हर साल आधा दर्जन से भी ज्यादा ऐसी फिल्में रिलीज होती है, जो बेहतरीन होने के बावजूद आखिर में असफल फिल्मों के खाते में जोड़ दी जाती है, तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका बजट बहुत ज्यादा था. इसे हाल ही में रिलीज हुई फिल्म काइट्स के जरिए समझा जा सकता है. स्पेनिष और हिंदी को मिलाकर कूल जमा दो भाषाओं में रिलीज हुई रितिक रोषन की इस फिल्म का कूल बजट सौ करोड़ रूपए से भी ज्यादा था. पहली बात तो यह कि फिल्म में रितिक की हिरोईन के तौर पर हाॅलीवुड से आयातित बारबरा मूरी को करोड़ों रूपए देकर साईन किया गया, इसके बाद पिछले दषक के सर्वश्रेष्ठ निर्देषक करार दिए गए राकेष रोषन ने निर्माता होते हुए भी फिल्म के निर्देषन की जिम्मेदारी अनुराग कष्यप को सौंपी. चूंकि अनुराग कष्यप इंडस्ट्री के ए-लिस्ट निर्देषकांे में गिने जाते हैं, सो उन्होंने भी रोषन से खासी फीस वसूली. फिल्म की शूटिंग में भी रोषन ने करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा दिए. दक्षिण अफ्रीका की खूबसूरत लोकेषनों पर शूटिंग की गई और मारधाड़ के दृश्यों को हाॅलीवुड टच देने के लिए भी करोड़ों रूपए खर्च कर दिए गए.
सो, फिल्म रिलीज हुई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के बजट के साथ. चूंकि फिल्म में रितिक रोषन जैसा बड़ा सितारा था, सो दर्षकों ने रिलीज के साथ ही इसे हाथों-हाथ लिया. फिल्म की कहानी अच्छी नहीं थी, आलोचकों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था, बावजूद इसके रितिक के प्रषंसक फिल्म देखने के लिए सिनेमाघरों की ओर दौड़े चले आए. प्रषंसकों के रितिक को लेकर प्यार के चलते ही पहले सप्ताह मंें फिल्म ने पैंतीस करोड़ रूपए के आसपास कमाई भी कर ली और पंद्रह दिनों के बाद फिल्म पचास करोड़ रूपए कमाने में भी कामयाब रही.
बावजूद इसके, नतीजा सिफर ही रहा. वजह, फिल्म का बजट सौ करोड़ रूपए से भी ज्यादा का था. सो पचास करोड़ रूपए कमाने के बाद भी काइट्स आने वाले सालों में एक असफल फिल्म के तौर पर जानी जाएगी, क्योंकि वह अपनी लागत निकालने में कामयाब नहीं हो पाई.
सो, सोेनम कपूर के कहने का मतलब यही है कि बाॅलीवुड में बड़े बजट की ज्यादातर फिल्में करोड़ों की कमाई करने के बावजूद आखिर में नाकाम फिल्म के तौर पर दर्ज हो जाती है, तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उन फिल्मों का बजट उनकी कूलजमा कमाई से कहीं ज्यादा था. पिछले दो सालों की ही बात करें, तो अक्षय कुमार अभिनीत ब्ल्यू-बजट अस्सी करोड़, कमाई तीस करोड़़, सैफ अली खान अभिनीत कुर्बान-बजट पचास करोड़, कमाई अट्ठाइस करोड़, शाहिद कपूर की कमीने-बजट चालीस करोड़, कमाई पच्चीस करोड़, और अक्षय कुमार की चांदनी चैक टू चाइना-बजट अस्सी करोड़ से ज्यादा, कमाई तीस करोड़ के आसपास-ऐसी फिल्में है, जो अगर कम बजट में बनाई जाती, तो कामयाब कहलाती. लेकिन चूंकि इन फिल्मों का बजट ज्यादा था, टिकट खिड़की पर ठीकठाक कमाई करने के बाद भी ये फिल्में असफल के तौर पर याद की जाती हैं.
मतलब बिल्कुल साफ है, बजट कम करों, सितारों को जायज पैसा दो और फिल्म का टिकट खिड़की पर हिट होने की संभावना बढ़ा दो. बाॅलीवुड को इस फाॅर्मूलें पर तल्काल गौर करने की जरूरत है.

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