Monday, July 19, 2010

दर्शकों को कैसी फिल्में पसंद है ?



पिछले सप्ताह रिलीज हुई तीन फिल्मों-लम्हा, उड़ान और तेरे बिन लादेन-का एक जैसा ही हश्र हुआ. तीनों ही फिल्मों को दर्शकों ने सिरे से नकार दिया. नतीजा यह रहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में आई हेट लव स्टोरीज की धमाकेदार कामयाबी के बाद इंडस्ट्री में जो उत्साह आया था, वह वापस ठंडा पड़ गया है.
पिछले हप्ते की तीनों फिल्मों के टिकट खिड़की पर औंध्ेा मूंह गिर जाने से यह सवाल एक बार फिर उभरकर आता है कि आखिर दर्शकों की पसंद क्या है? आखिर दर्शकों को किस तरह की फिल्में पसंद आती है, जिन्हें देखने के लिए वे सिनेमाघरों की ओर दौड़े चले आते हैं ?
पिछले हप्ते रिलीज हुई तीन फिल्मों के आधार पर ही यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर दर्शकों ने इन फिल्मों को क्यों नकार दिया ? सबसे पहले बात लम्हा की. बंटी वालिया जैसे निर्माता और राहुल ढोलकिया जैसे निर्देशक की इस फिल्म में संजय दत्त, बिपाशा बासु जैसे बड़े सितारे थे. बावजूद इसके दर्शक फिल्म देखने नहीं गए. फिल्म विश्लेषकों का मानना था कि पिक्चर कश्मीर आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या पर आधरित है, इसलिए दर्शकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. चलों, मान लेते हैं कि दर्शक गंभीर फिल्मों को कम ही पसंद करते हैं. इसके साथ ही लम्हा को आलोचकों ने भी खारिज कर दिया था, इसलिए पिक्चर के इसीे अंजाम की आशंका थी.
लेकिन लम्हा के साथ रिलीज हुई बाकी दो फिल्मों-उड़ान और तेरे बिन लादेन को दर्शकों ने क्यों नकार दिया ? ये दोनों फिल्में भले ही कम बजट और छोटे कलाकारों की फिल्में थी. लेकिन इनकी सबसे बड़ी खूबी इनकी दमदार और नयापन ली हुई कहानी थी. दोनों ही फिल्मों को विश्लेषकों ने भी खूले दिल से सराहा था. तेरे बिन लादेन के बारे में कहा जा रहा है कि यह फिल्म पिछले पांच-छह सालों में आई कॉमेडी फिल्मों में सबसे अच्छी है. सलमान खान जैसे सितारे ने भी अपने ट्वीटर खाते पर इस फिल्म की खूब तारीफ की. वहीं उड़ान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी खूब सुर्खियां बटोर रही है. इस पिक्चर की कहानी अनुराग कश्यप ने निर्देशक के साथ मिलकर लिखी है.
बावजूद इसके अगर दर्शकों ने इन दोनों फिल्मों को भी नकार दिया है, तो क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि अब अच्छी कहानी भी फिल्म के हिट होने की गारंटी नहीं ? पिछले चंद सालों में आमिर, ए वेडनसडे, खोसला का घोंसला जैसी छोटी फिल्में अपनी कहानी के बूते ही हिट साबित हुई थी. इसके बाद यह उम्मीद जगी थी कि अब दर्शक बड़े सितारों के बजाए अच्छी कहानी को तवज्जो देने लगे हैं.
लेकिन अब उड़ान और तेरे बिन लादेन जैसी अच्छी फिल्मों की नाकामी ने दर्शकों की पसंद को लेकर फिर सभी को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है.

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