Friday, July 9, 2010

फिल्में नई, गीत पुराने


आजकल टीवी के म्यूजिक चैनलों पर अजय देवगन-इमरान हाषमी अभिनीत फिल्म वन्स अपाॅन ए टाईम इन मुंबई के प्रोमो चल रहे हैं. यह पिक्चर 30 जुलाई को रिलीज होने वाली है, लेकिन इसके प्रोमो में दिखाया जा रहा एक गाना अभी से दर्षकों के दिलों को लुभा रहा है: पर्दा........पर्दा...... असल में यह गीत सत्तर के दषक के चार्टबस्टर्स गानों- दुनिया में लोगों को धोखा हो जाता है और मोनिका...ओ माय डार्लिंग- से प्रेरित है. पिक्चर में भी सत्तर के दषक में मुंबई में पनप आए अंडरवल्र्ड की कहानी को दिखाया गया है , इसलिए यह गाना एकदिम मुफीद बैठता है. सत्तर के दषक में इन गानों ने खूब धूम मचाई थी, और आज भी यह गाने संगीत की दुनिया में क्लासिक के तौर पर दर्ज हैं.
वैसे, बात यहां यह हो रही है कि नई फिल्मों में पुराने गीतों, या उनके मुखड़ो या फिर उनकी धुनों का इस्तेमाल आजकल बाॅलीवुड के लिए आम बात होती जा रही है. याद कीजिए पिछले साल आई सैफअली खान और दीपिका पादुकोण की ब्लाॅकबस्टर फिल्म लव आजकल को, जिसमें नागिन फिल्म की प्रसिध धून को ‘ट्वीस्ट...ओनली ट्वीस्ट’ गाने में नए अंदाज में पेष किया गया था. तब बिन की धून पर नायिकाएं थिरकी थी,, इस फिल्म में सैफ अली खान अपने खास अंदाज में इस धून पर थिरकते नजर आए. अभी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म हाउसफुल में भी अक्षय कुमार, अर्जुन रामपाल और रितेष देषमुख लावारिस फिल्म के सदाबहार गीत अपनी तो जैसे-तैसे कट जाएगी, आपका क्या होगा...जनाबेआली. पर नाचते दिखाई दिए.
बात यह है कि आजकल नए दौर के संगीतकारांे को पुरानी धुनें जरा ज्यादा ही भाने लगी है. या इसे यूं भी कह लीजिए कि बेचारों के पास कल्पनाषीलता का अकाल है. नई और ओरिजनल धूनें वे रच नहीं पाते. लेकिन करें भी क्यां, क्योंकि निर्माता से धुने बनाने के लिए पैसा तो ले लिया है. सो, पुरानी क्लासिक फिल्मों की डीवीडी उठाते हैं और कोई अच्छी सी धुन को नए सिरे से ढालकर निर्माता के सामने रख देते हैं. अब पचास तरह के झमेलों से जूझ रहे निर्माता के पास तो इतना वक्त नहीं कि वह असली-नकली का फर्क कर लें, सो वह अपनी रजामंदी दे देता है. रही बात निर्देषक की,, तो उसने तो फिल्म की कहानी ही चुराई हुई होती है, सो वह तो संगीतकार के काम में मिनमेख निकालने से रहा. सो, वह भी क्लासिक और सदाबहार का हवाला देकर पुराने गीतों या धुनों को नए सिरे से अपनी पिक्चर में शामिल करने के लिए तैयार हो जाता है. तो, इस तरह एक पुराना गाना एकदम नई फिल्म के जरिए दर्षकों के सामने एक बार फिर पहुुंच जाता है.
इंडस्ट्री में आजकल यही हो रहा है. हिमेष रेषमिया, प्रितम, आदेष श्रीवास्तव जैसे दर्जनों संगीतकार हैं यहां, जो नई धुनों को रचने की जहमत नहीं उठाते, बल्कि पुरानी धुनों को ही नए सिरे से सजा-संवार देते हैं. आखिरकार, प्रेरणा भी तो कोई चीज होती है भाई और प्रेरणा तो कहीं से भी ली जा सकती है...!

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