Thursday, August 5, 2010

बंगाली बाला बिपाशा की चिंता



उम्र ढली नहीं कि बॉलीवुड में कॅरिअर को डूबने में देर नहीं लगती. हिरोईनों के मामलें में तो हालत और ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक रहती है. जिंदगी के तीसरे दशक में प्रवेश करते हीे हर हीरोईन असुरक्षा से घिर जाती है. उसे लगने लगता है कि अब उसके कॅरिअर पर कभी भी पूर्ण विराम लग सकता है. इंडस्ट्री में आने वाली हर नई हीरोईन उसे अपनी प्रतिद्वंद्वी नजर आने लगती है. ऐसे में उसके पास एक ही विकल्प रह जाता है ःकैसे भी करके सुर्खियों में बनो रहो, जितनी ज्यादा फिल्में हो सके हासिल कर लो.
बॉलीवुड की बंगाली क्वीन बिपाशा बासु भी इन दिनों ऐसे ही हालात का सामना कर रही है. उम्र उनकी इकतीस बरस की हो गई है, सो अब पहले जैसी कातिल अदाएं तो रही नहीं उनकी. ऊपर से दर्द यह कि पिछले कुछ समय से उनकी फिल्में भी बस आती है और टिकट खिड़की पर बिना कमाई किए चली जाती है. बिपाशा की पिछली तीन फिल्मों लम्हा, पंख और आ देखे जरा टिकट खिड़की पर बुरी तरह पिटी थी.
अब टिकट खिड़की पर जलवा नहीं, तो बॉलीवुड में जलवा खत्म ही समझो. सो, इन दिनों बंगाली बाला परेशान है, चिंता में है. इसी चिंता में नई बात उन्होंने अब यह कही है कि कॅरिअर के इस दौर में अब वे गंभीर किस्म की भूमिकाएं करना चाहती है. मतलब यह कि अब बिपाशा अभिनय कर सकने वाली अभिनेत्री बनना चाहती है.
लेकिन दिक्कत यह है कि बॉलीवुड में ऐसी अभिनय कर सकने वाली अभिनेत्रियों को पूछता कौन है ? यकीन न हो तो पूछ लीजिए तब्बु, करिश्मा कपूर, रवीना टंडन और जूही चावला जैसी अच्छा अभिनय करने वाली अभिनेत्रियों को. बेचारी यही कहेंगी कि उनके अभिनय की खूबी धरी की धरी रह गई.
अब बॉलीवुड के फिल्मकारों ने इन अभिनेत्रियों को नहीं पूछा, तो भला बिपाशा को क्या पूछेंगे ? ऐसे में हमें तो उनका कॅरिअर डावांडोल ही नजर आता है, क्योंकि ईधर आजकल बॉलीवुड में प्रियंका, कैटरीना, सोनम जैसी दर्जनों युवा, खूबसूरत और प्रतिभावान अभिनेत्रियां आ गई है. बात साफ है, यह बिपाशा के लिए गंभीर चिंतन-मनन का वक्त है.

No comments:

Post a Comment