Thursday, August 19, 2010

जन्मदिन विशेष ः गुलजार



ब्रिटिश राज के अधिन भारत के पंजाब के झेलुन जिलें में 18 अगस्त 1936 को जन्में संपूरणसिंह कालरा अर्थात गुलजार का नाम भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेश्ठ निर्देशकों की सूची में शामिल किया जाता है. 1963 में बिमल राय की फिल्म बंदिनी के साथ गुलजार साहब के फिल्मी कॅरिअर का बतौर गीतकार आगाज हुआ. और अपने पहले ही काम में उन्होंने उस बुलंदी को छू लिया, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है. इस फिल्म में उनके द्वारा लिखा गया गीत मोरा गोरा रंग लई ले आज भी भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ गीतों में शुमार किया जाता है. इसी फिल्म से महान गीतकार एसडी बर्मन के साथ गुलजार साहब का जो रिश्ता बना, तो ताउम्र कायम रहा. इस रिश्ते को सीनियर बर्मन के बेटे आरडी बर्मन ने भी खूब निभाया. बाद के सालों में गुलजार साहब ने जितनी भी फिल्में निर्देशित की, उन सभी में संगीत आरडी बर्मन ने ही दिया. बतौर निर्देशक अपने कॅरिअर का आगाज गुलजार साहब ने 1971 में आई फिल्म मेरे अपने से किया. बतौर निर्देशक भी उन्होंने पहली ही फिल्म में अमिट छोड़ी और यह फिल्म आज भी भारतीय सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में शुमार होती है. इसके बाद तो सत्तर के दशक में गुलजार का जादू सिर चढ़कर बोला. इस दशक मेंें गुलजार साहब ने परिचय-1972, कोशिश-1972, अचानक-1973, आंधी-1985, मौसम-1975, खूशबू-1975 और किताब-1977 जैसी श्रेष्ठ फिल्में दी.
गुलजार साहब की महानता सिर्फ निर्देशक के दायरें तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे बॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला गिने जाते हैं. बतौर लेखक, बतौर गीतकार भी गुलजार साहब की उपलब्धियां उन्हें महानतम फिल्मी शख्सियतों की सूची में सबसे ऊपर रखती है. बतौर गीतकार भी एआर रहमान और विशाल भारद्वाज जैसी हस्तियों के साथ मिलकर उन्होंने छैया छैया, बीड़ी जलाइले जैसे अद्भूत गाने दिए हैं. बतौर टेलीविजन लेखक भी गुलजार साहब के नाम पर मोगली का चड्डी पहनके फूल खिला है जैसी महान रचनाएं शामिल है.
और फिर गुलजार साहब की महानता इसलिए भी है कि उन्होंने बदलते वक्त के साथ खूद को बखूबी ढाल लिया. न जाने कितनी फिल्मी हस्तियां बदलते वक्त के साथ सामंजस्य न बना पाने की वजह से भूला दी गई, लेकिन गुलजार साहब आज भी बॉलीवुड की श्रेष्ठ शख्सियतों में गिने जाते हैं, तो सिर्फ इसीलिए कि उन्होंने बदलते वक्त के साथ बखूबी तालमेल बिठा लिया. यह गुलजार साहब की महानता का प्रमाण ही है कि मोरा गोरा रंग लई ले जैसा महान क्लासिक गीत लिखने के साथ ही वे छैया छैया और बीड़ी जलाइले, कजरारे-कजरारे जैसे चलताउ गाने भी बड़ी श्रेष्ठता के साथ लिख देते हैं.
तो, अब यही गुलजार साहब आज 74 बरस के हो गए हैं. लेकिन उनका सफर अभी भी जारी है. एआर रहमान, मणिरत्नम, विशाल भारद्वाज जैसे नई पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ लोगों के साथ उनकी जुगलबंदी आज भी उनके प्रशंसकों का दिल जीत लेती है. इस मौके पर गुलजार साहब के करोड़ों प्रशंसकों के साथ हम भी यही दुआ करेंगे कि आने वाले कई सालों तक उनकी कलम की धार इसी तरह हमारे दिलों को लुभाती रहे.

1 comment:

  1. गुलजार साहब को जन्म-दिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

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