Tuesday, August 3, 2010

कामयाबी के लिए कुछ भी करती हीरोईने !


मुंंबईया फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा कामयाबी मायने रखती है. संबंध, व्यावहारिकता, छवि सबकुछ कामयाबी की मलाई देखकर बदल जाया करते हैं. जो अभिनेता पत्नीव्रता होने का दावा करके रूपहले पर्दे पर हीरोईन के साथ चुंबन दृश्य न देने का ऐलान करते हैं, एक-दो फिल्मों की नाकामी के बाद ही वे अपना प्रण वापस भी ले लेते हैं. बॉलीवुड की हिरोईनों का हाल तो इस मामलें में और ज्यादा बुरा है. एक तो इन बेचारी हिरोईनों को नाचने-कूदने से ज्यादा अहमियत के रोल मिलते नहीं. ऊपर से इनका कॅरिअर भी कुछ सालों तक ही सीमित रहता है. जब तक जवानी है, तब तक दर्शक भी उनकी फिल्में देखने सिनेमाघरों तक पहुंचते रहते हैं. जवानी ढली, कि दर्शक उसी तरह गायब हो जाते हैं जैसे कि चुनाव निपट जाने के बाद नेता लोग हो जाया करते हैं. अब देखिए ना, सलमान, शाहरूख, आमिर जैसे अभिनेता चालीस साल पार कर जाने के बाद भी अपने से आधी उम्र की हिरोईनों के साथ नाचते नजर आते हैं. संजय दत्त और अमिताभ जैसे पुराने दिग्गज भी अभी तक बॉलीवुड में बने हुए हैं. हर साल कम से कम दो-तीन फिल्में तो आ ही जाती है इनकी. लेकिन कोई बता सकता है कि इन अभिनेताओं के साथ ही अपने कॅरिअर का आगाज करने वाली मिनाक्षी शेषाद्री, रीना राय, माध्ुारी दिक्षीत, श्रीदेवी जैसी हिरोईनें आज कहां है. वे बेचारियां तो कब की फिल्मी दुनिया को विदा कहकर अपनी गृह-गृहस्थी बसा चुकी हैं.
हिरोईनों की बेचारगी की बात यहां इसलिए हो रही है, क्योंकि इसी बेचारगी के चलते वे अपने छोटे से कॅरिअर में सबकुद हासिल कर लेने की जीतोड़ कोशिश करती हैं. प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए उन्हें समझौते भी करने पड़ते हैं और अपनी मान-मर्यादा को भी ताक पर रखना पड़ता है. अब इसे आज के दौर की चंद हिरोईनों के उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. सबसे पहले बात अमृता राव की. 2002 में अब के बरस नामक पिक्चर से अपने कॅरिअर की शुरूआत करने वाली अमृता को 2003 में आई अपनी दूसरी ही फिल्म इश्क-विश्क से ध्ुंाआधार कामयाबी मिल गई. इस कामयाबी से उत्साहित होकर शालीन परिवार से ताल्लुक रखने वाली अमृता ने ऐलान कर दिया कि वे फिल्मों में अंग प्रदर्शन वाली भूमिकाएं नहीं करेगी. अमृता की सोच का पता चलते ही बॉलीवुड के फिल्मकारों ने भी उनसे दूरी बना ली. बाद के सालों में दीवार, वाह लाइपफ हो तो ऐसाी, शिखर, प्यारे मोहन, विक्टरी जैसी फिल्में आई, भी तो टिकट खिड़की पर चली नहीं. वजह, अमृता को बॉलीवुड में बहनजीछाप हिरोईन का तमगा मिल गया था. नतीजा यह रहा कि दर्शक भी इस बहनजीछाप हिरोईन से दूर ही रहने लगे.
आखिरकार, अमृता भी बॉलीवुड में नाम और पैसा कमाने ही आई है.ं सो, इन फिल्मों की नाकामी के बाद उनका नजरिया भी बदल गया. बहनजीछाप हिरोईन ने फिर अपना मेकओवर करने की ठान ली. नतीजा यह रहा कि पिछले साल आई पिक्चर शार्टकट में अमृता इस कदर छोटे कपड़ों में नजर आई कि बॉलीवुड के साथ ही दर्शक भी हैरान रह गए. पिक्चर तो नाकाम रही, पर अमृता ने ऐलान कर दिया है ः कामयाबी पाने के लिए वे हर तरह की भूमिका के लिए तैयार है, छोटे से छोटे कपड़े पहनने के लिए तैयार हैं.
कुछ ऐसा ही हाल अनुष्का शर्मा का भी है. 2008 में जब अनुष्का ने बॉलीवुड के बादशाह शाहरूख खान और सबसे प्रतिष्ठित निर्देशक आदित्य चैपड़ा के साथ फिल्म रब ने बना दी जोड़ी से अपने कॅरिअर से शुरूआत की, तो उन्हे ऐतिहासिक कामयबी की उम्मीद थी. अफसोस, पिक्चर ज्यादा नहीं चली. थोड़ी बहुत चली भी तो उसका सारा श्रेय हमेशा की तरह ही किंग खान ले गए. बेचारी अनुष्का इतने बड़े बैनर और इतने बड़े सितारें का साथ होने के बाद भी खाली हाथ ही रह गई. पहली फिल्म में वे एक भोली-भाली हिरोईन बनी थी. डूपट्टा तक न खसका था अनुष्का का पहली पिक्चर में. लेकिन इसके बाद दो साल तक बॉलीवुड के किसी भी निर्देशक ने उनको पूछा तक नहीं. मामला वहीं था कि अनुष्का अंग प्रदर्शन से परहेज कर रही थी और यही बात निर्माता-निर्देशकों को उनसे दूर कर रही थी. नतीजा फिर वहीं, दो साल तक बेरोजगारी झेलने के बाद अनुष्का की हिम्मत भी जवाब दे गई. इस साल के शुरू में उनकी पिक्चर आई थी बदमाश कंपनी. इस पिक्चर में अनुष्का ने भी अपने जिस्म की जमकर नुमाइश की. बेहद तंग बिकनी में नजर आई थी वो इस पिक्चर में. नतीजा यह कि अब उनके खातें में आधा दर्जनभर अच्छे निर्देशकों की फिल्में है. निखिल आडवाणी जैसे निर्देशक की एक पिक्चर में तो वे अक्षय कुमार के साथ नजर आने वाली है.
बात साफ है, इन हिरोईनों ने समय रहते बॉलीवुड में टिके रहने के तरीकों को अपना लिया. नहीं तो इनका भी वही हाल होता, जो भाग्यश्री, आयशा टाकिया का हुआ था. इन हिरोईनों ने आखिर तक अंग प्रदर्शन नहीं किया. नतीजतन वे तमाम खूबियों के बावजूद भी कभी कॅरिअर के शीर्ष पर नहीं पहुंच पाई.

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