Tuesday, June 29, 2010

इस राजनीति की तारीफ कीजिए


2 जून को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई राजनीति में एक बहुत ही उम्दा संवाद है- ‘राजनीति में फैसले अच्छा या बुरा देखकर नहीं लिए जाते हैं, बल्कि उनकी अहमियत देखी जाती है, मौका देखकर.’ नाना पाटेकर, अजय देवगन, मनोज वाजपेयी, रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ जैसे इंडस्ट्री के आधा दर्जन बड़े सितारों से सज्जित इस फिल्म में दर्जनों ऐसे उम्दा संवाद हैं, जिन्हें सुनकर सिनेमाघर में दर्शक तालियां पीट रहे हैं. प्राचीनकालीन महाभारत की कथा से प्रेरित प्रकाश झा के निर्देशन में बनी इस फिल्म को सिर्फ आलोचकों ने सराहा है, बल्कि दर्शकों ने भी सिर माथे पर बिठाया है. नतीजतन, राजनीति 2010 की अब तक की सबसे कामयाब फिल्म साबित हो रही है. हालांकि फिल्म की कहानी को देखते हुए आलोचकों ने इसकी कामयाबी पर संदेह जताया था. लेकिन फिल्म ने देशभर में छप्परपफाड़ कमाई करके सभी को हैरत में डाल दिया है. 2 जून, शुक्रवार को देशभर के पंद्रह सौ से ज्यादा सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद फिल्म ने पहले छह दिनों में ही 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई करके 2010 में सबसे अच्छी शुरुआत की. इतना ही नहीं, फिल्म थ्री इडियट्स और गजनी के बाद पहले सप्ताह में कमाई के मामले में भारतीय फिल्म इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई है.

फिल्म की कामयाबी ने नाकाम फिल्मों के ढेर पर खड़ी इंडस्ट्री को भी राहत पहुंचाई है. 2010 की पहली छमाही में- काइट्स, ब्ल्यू जैसी महंगी फिल्मों की नाकामी झेलने के बाद इंडस्ट्री भारी घाटे से गुजर रही थी. इस बीच, आईपीएल और परीक्षाओं के चलते भी इंडस्ट्री को भारी नुकसान झेलना पड़ा. लेकिन राजनीति की ऐतिहासिक कामयाबी ने इंडस्ट्री के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला दी है. साथ ही, राजनीति की टिकट खिड़की पर कामयाबी से यह मिथक भी टूट गया है कि दर्शक अब बहुसितारा फिल्मों को लेकर उत्सुक नहीं रहते हैं. प्रकाश झा के महाभारत के इस आधुनिक संस्करण में आधा दर्जन से भी ज्यादा चर्चित सितारे थे और दर्शकों ने सभी का खुले दिल से स्वागत किया. फिल्म की कामयाबी ने रणबीर कपूर को एक बार फिर सबसे चर्चित युवा सितारा बना दिया है, जिनका करियर राॅकेट सिंह: सेल्समेन आॅफ ईयर की नाकामी के बाद डगमगा गया था. इसी तरह कैटरीना कैफ के हिस्से में एक और सफल फिल्म दर्ज हो गई है.

वहीं, फिल्म की कामयाबी ने प्रकाश झा को भी इंडस्ट्री के शीर्ष निर्देशकों में जमात में पहुंचा दिया है. हालांकि झा की पिछली दो फिल्में अपहरण और गंगाजल भी टिकट खिड़की पर कामयाब रही थी. लेकिन राजनीति ने झा के करियर की सभी फिल्मों की कुल कमाई से भी ज्यादा कमाई की है. असल में, राजनीति झा के साथ ही इसके प्रत्येक सितारे के करियर की भी सबसे कामयाब फिल्म साबित हो रही है.

खास बात यह है कि फिल्म देश के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को साहस के साथ सामने लाती है. महाभारत से प्रेरित फिल्म की कहानी में परिवार के भीतर राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की लड़ाई को दिखाया गया है. यह लड़ाई ऐसे निम्न स्तर तक पहुंच जाती है कि दो भाइयों के बेटे एक-दूसरे की जान लेने पर आमादा हो जाते हैं. वर्तमान में, भारतीय राजनीति भी इसी तरह के संक्रामक दौर से गुजर रही है, जहां नैतिक मूल्यों की कोई जगह नहीं है. क्षेत्रीय क्षत्रपों के प्रभुत्व वाले इस दौर में समाजसेवा और देशसेवा जैसे शब्द निरर्थक साबित हो चुके हैं और ताकत, पैसा हासिल करना ही राजनेताओं का एकमात्र लक्ष्य रह गया है. कुर्सी के पीछे नैतिक मूल्यों को तार-तार करने वाले शिबू सोरेन, पारिवारिक मोह में फंसकर ध्ृातराष्ट्र बनकर रह गए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायमसिंह यादव, एम. करुणानिधि जैसे नेताओं को देखने के बाद प्रकाश झा की राजनीति एक सार्थक फिल्म प्रतीत होती है.

फिल्म की धमाकेदार कामयाबी के साथ झा उन चुनिंदा निर्देशकों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने राजनीति की गंदगी को कामयाबीपूर्वक सिनेमाई पर्दे पर उकेरा. दशकों पहले 1971 मेरे अपने नामक एक फिल्म आई थी. महान फिल्मकार-गीतकार गुलजार के करियर की यह पहली फिल्म थी, जिसने तत्कालीन राजनीतिक दौर की विसंगतियों को बखूबी उकेरा था. सत्तर के दशक के उस दौर में भी आम जनता के लिए राजनीति में कोई जगह नहीं थी और प्रकाश झा की फिल्म यही साबित करती है कि वक्त बीतने के साथ हालात बदतर ही हुए हैं. बिहार की राजनीति में अच्छा-खासा दखल रखने वाले झा इस फिल्म के लिए बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने राजनीति के कीचड़ में रहते हुए भी इस यादगार फिल्म के जरिए एक मनमोहक पफूल खिला दिया है.

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